भारत के सभी राज्य की लिस्ट और उनके लोक नृत्य Different Dance Forms and Folk Dances of India With States in Hindi
लोक नृत्य क्या है या लोक नृत्य का क्या अर्थ होता है ? What is folk dance or what is the meaning of folk dance?
लोक नृत्य जैसा कि नाम से पता चलता है कि यह आम लोगों द्वारा विकसित एक नृत्य होता है जो एक निश्चित देश या क्षेत्र के लोगों के जीवन को दर्शाता है। सभी जातीय नृत्य लोक नृत्य नहीं होते हैं। उदाहरण के लिए, अनुष्ठान नृत्य या अनुष्ठान मूल के नृत्यों को लोक नृत्य नहीं माना जाता है।
ये लोक नृत्य प्रायः 19 वीं शताब्दी या उससे पहले के हैं और उनके सृजनकर्ता नहीं होते और ये नृत्य आम जानो द्वारा विकसित किये हुए होते हैं। और इन नृत्यों को विकसित करने वाले भी आम जान होते हैं न कि कुलीन वर्ग के लोग। इस लोक नृत्य में ख़ास बात ये होती है कि इनको नियंत्रित करने की कोई संस्था या इकाई नहीं होती इससे इसके विकास पर किसी का नियंत्रण नहीं होता है।
भारत के लोक नृत्य के प्रकार Types of folk dance
नृत्य हमारे मनोभावों और भावनाओ को अभिव्यक्त करने का संगीतमय माध्यम है। किसी भी जगह का नृत्य उस जगह की सांस्कृतिक विरासत को भी ओढ़े हुए होता है इसलिए नृत्य देश को एकता के सूत्र में बांधने का प्रयास भी करता है।
शास्त्रीय और पारंपरिक नृत्य से लेकर लोकनृत्य और आदिवासियों के नृत्य तक, भारत में नृत्य के कई प्रकार प्रचलित हैं। इस समय कुल मिला कर 8 प्रकार कुछ ज़्यादा ही नृत्य के प्रकार पहचाने जाते हैं, जो पौराणिक और धार्मिक इतिहास में डूबे हुए हैं और हिन्दू नाट्य शास्त्र में उन की चर्चा की गई है।
यह नृत्य के प्रकार हैं: भरत नाट्यम (तमिल नाडु), सत्रीया (असम), मणिपुरी (मणिपुर), कथकली (उत्तरी और पश्चिमी भारत), ओडिसी (उड़ीसा), कुचीपुड़ी (आंध्र प्रदेश और तेलंगाना), कथकलीली तथा मोहिनी अट्टम (केरल)।
भारत के प्रमुख लोक नृत्य के नाम Names of major folk dances of India
भारत के प्रमुख लोक नृत्य के नाम इस प्रकार हैं घूमर, गणगौर, झूलन लीला, कालबेलिया, छारी (Chari)। नौटंकी, रासलीला, कजरी, चाप्पेली। भोटिया नृत्य (Bhotia Dance), चमफुली (Chamfuli)और छोलिया (Chholia) | भरतनाट्यम, कुमी, कोलट्टम, कवाडी अट्टम।
लोक नृत्य की विशेषताएं Features of Folk Dance
लोक नृत्य एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी को हस्तांतरित किए जाते हैं। इसलिए इसमें गुरु आमतौर पर उसी परिवार के वरिष्ठ सदस्य होते हैं। यह चाल के किसी विशिष्ट प्रतिरूप में सामान्य लय का प्रयोग करते हुए किए जाते हैं। यह आनंद और प्रसन्नता को अभिव्यक्त करने वाले सरल नृत्य हैं। शरीर की चाल, चेहरे की भाव-भंगिमाएँ, वेशभूषा, आभूषण, सजावट आदि लोक नृत्य के अभिन्न अंग हैं। और ये ज्यादातर सरल होते हैं जिनको सीखना आसान होता है।
लोक नृत्य का महत्व क्या है what is the importance of folk dance
समाज और देश को सुदृढ़ करने में और एकता के सूत्र में पिरोने में नृत्य और लोक नृत्य की बहुत महत्वपूर्ण भूमिका होती है। वास्तव में नृत्य मानव द्वारा ख़ुशी और अन्य भावनाओं को व्यक्त करने का सांकेतिक रूप है जिसे और लोग भी समझ कर आनंद ले सकते हैं। नृत्य मानव जीवन को नैतिक कर्तव्यों की ओर उन्मुख करता है। नृत्य मानवीय अभिव्यक्तियों का एक रसमय प्रदर्शन है। यह एक सार्वभौमिक कला है, जिसका जन्म मानव जीवन के साथ हुआ।
भारत के विभिन्न राज्यों के लोक नृत्य में क्या समानता है What are the similarities in the folk dances of different states of India?
भारत के विभिन्न राज्यों के लोक नृत्य में ये समानता है कि ये सभी अपने अपने राज्य कि सांस्कृतिक विरासत को अपने नृत्य में दिखाते हैं। ज्यादातर लोक नृत्य की उत्पत्ति भगवान की प्रार्थना या उनको प्रसन्न करने या ख़ुशी या इसी तरह किसी अन्य प्रकार के मनोभावों की संगीतमय प्रस्तुति के लिए हुई है।
भारतीय राज्य और उनके नृत्य और लोक नृत्य की सूची List of Dances of India state wise
हमारा भारत विविध धर्मों, संस्कृतियों और परंपराओं वाला देश है हमारे यहां ये भी ख़ास बात है कि हर प्रदेश और राज्य का अलग लोक नृत्य और आदिवासी नृत्य है। वास्तव में ये नृत्य उनकी अपनी भाषा में ख़ुशी और उल्लास व्यक्त करने का माध्यम भर होता है। लोक कला एक समूह या स्थान विशेष के लोगों का आम प्रदर्शन होता है जो उन्हें औरों से अलग पहचान दिलाता है। हालाँकि इन सब लोक नृत्यों के प्रवर्तकों की पहचान समाप्त हो चुकी है लेकिन वर्षों से इसकी शैली का संरक्षण आम जनता द्वारा किया जा रहा है।
ज्यादातर लोक नृत्यों में मौकों पर नर्तक/ नर्तकियां खुद गाना गाते हैं और वाद्य यंत्रों का नहीं या बहुत कम इस्तेमाल किया जाता है । जिसमें इनका साथ वाद्ययंत्रों से लैस इसके साथी कलाकार देते हैं। प्रत्येक लोक नृत्य का विशेष परिधान और लय होता है और कुछ परिधान तो गहनों और डिजाइनों के साथ बहुत ही रंगीन होते हैं। यहां हम आपके लिए अलग– अलग राज्यों के लोक नृत्यों की सूची दे रहे हैं जो आपको यूपीएससी, राज्य पीएससी, एसएससी, बैंक की परीक्षाओं इत्यादि में मदद करेंगी।
भारत के सभी राज्यों के लोक नृत्य एक साथ एक नजर में
राज्य |
लोक नृत्य |
असम | बिहू, बैशाख, खेल गोपाल, कलिगोपाल, बोई राजू, राखललीला , नट पूजा, बगुरूम्बा |
पंजाब | भांगड़ा, गिददा, दफ्फ, धामल (Dhamal), दंकारा (Dankara)। |
हिमाचल प्रदेश | डंडा नाच, सांगला, छपेली, चम्बा, नाटी, महासु थाली, झेंटा, जद्धा , छारबा |
हरियाणा | छोरेया, डफ, धमाल, खेरिया, फाग, झूमर, लूर, गुग्गा, खोर, जागोर। |
महाराष्ट्र | तमाशा , लेजिम, गोधलगीत, बोहरा, लावनी, कोली, मौनी गणेश चतुर्थी, डिंडी (Dindi), काला (Kala), दहीकला दसावतार। |
जम्मु – कश्मीर | डमाली, हिकात, डांडी नाच, कुद, भाखागीत, आलम, हेमिस गोप्पा उत्सव (लद्धाख), रऊफ, हीकत, मंदजात, कूद डांडी नाच। |
राजस्थान | गणगौर, झुमर, घूमर, तेरह ताली, सूसिनि, गोपिका लीला, झूलन लीला, कालबेलिया नृत्य, चरी नृत्य, छारी (Chari)। |
गुजरात | गरबा, घेरिया रास, गोफे, जेरियन, डांडियारास, पणिहारी, रासलीला, लास्या, गणपति भजन, टिपप्णी, गरबा, डांडिया रास, भावई। |
छतीसगढ़ | मांदरी नृत्य, गंडी नृत्य, गौरा नृत्य, सुआ, पंथी, राऊत, चन्दैनी, कर्मा, कक्सार, फुलकी पाटा, पंडवानी, डोरला, सरहुल, शैला, एवं दमनच, पैंथी, राउत नाच, पंडवाणी, वेडामती, कपालिक, भारथरी चरित्र, चंदनानी। |
झारखण्ड | बौंग, मगाह, नटुआ, छऊ, सरहुल, कर्मा, गुण्डारी, जदुर, झूमर, पैका, फगुआ, मुंदारी नृत्य, सरहुल, बाराओ, झीटका, डांगा, डोमचक, घोरा नाच। |
उड़ीसा | चंगुनाट, गरूडवाहन, डंडानट, पैका, जदूर, मुदारी, छाऊ, गोतिपुआ (Gotipua), घुमूरा (Ghumura), रानाप्पा (Ranappa), संबलपुरी नृत्य। |
उत्तराखण्ड | चांचरी / झोड़ा, छपेली, झुमैलो, भोटिया नृत्य (Bhotia Dance), चमफुली (Chamfuli) और छोलिया (Chholia), |
कर्नाटक | यक्षगान, भूतकोला, डोलू कूनीथा नृत्य, यक्षगान, हुट्टारी, सुग्गी, कुनीथा, करगा, लाम्बी। |
आंध्र प्रदेश | घंटामर्दाला, बतकम्मा, कुम्मी, छड़ी नृत्य, कुचिपुड़ी, वीरानाट्यम, बुट्टा बोम्मलू (Butta Bommalu), भामकल्पम ( Bhamakalpam), दप्पू (Dappu), तपेता गुल्लू (Tappeta Gullu,), लम्बाडी (Lambadi,), धीमसा (Dhimsa), कोलट्टम (Kolattam) |
बिहार | जट – जाटिन, घुमकडिया, कीर्तनिया, पंवारियां, सोहराई, छाउ, लुझरी, सामा, जात्रा, चकेवा, जाया, माघी, डांगा, चेकवा, बिदेसिया, कजरी आदि |
उत्तर प्रदेश | झोरा, छपेली, करण, कजरी, रासलीला, नौटंकी, दीवाली थाली |
केरल | कैकोट्टिकली, चाक्यरकुयु, मद्रकली, पायदानी, कुड़ी अट्टम, कालीअट्टम,मरविल्लुकू(सबरीमाला का अय्यपा मंदिर ), मारामोन, मिलादे शरीफ, कथकली (शास्त्रीय), मोहिनीअट्टम, कूरावारकली (Kuravarkali)। |
मध्यप्रदेश | दीवाली, फाग, सुआ, चैत, रीना, टपाड़ी, सैला, भगोरिया, हुल्कों, मुंदड़ी, संगमाडिया, जवारा, मटकी, अडा, खाड़ा नाच, फूलपति, ग्रिदा नृत्य, सालेलार्की, सेलाभडोनी, मंच। |
पश्चिमी बंगाल | करणकाठी, गंभीरा, जलाया, बाउल नृत्य, कथि, जात्रा, लाठी, गंभीरा, ढाली, बाउल, छाऊ, संथाली डांस। |
तमिलनाडु | कोल्लटम, कारागल, कावड़ी, कुम्मी, जल्लीकट्टी,चितिरै, आदिपेरूक, कीर्तिग दीपम, भरतनाट्यम, कवाडी अट्टम। |
अरूणाचल प्रदेश | मुखैटा, मोपिन, सोलुंग, लोस्सार, द्रीरेह, सी – दोन्याई, चोकुम, झोरा, झाली, छारही, धामन, छापेली, महासू, नटी, डांगी। |
नागालैण्ड | कुमीनागा, रेंगमनागा, लिम, चोंग, युद्ध नृत्य, खैवा, मोआत्सु, सेकरेन्यी, तुलनी, तोक्कू एमोंग, रेंगमा ( Rengma), बांस नृत्य चंगी नृत्य (Changai Dance), आलूयट्टू (Aaluyattu)। |
मणिपुर | योशांग (होली), संकीर्तन, लाईहरीबा, धांगटा की तलम, बसंतराम, राखल, रामलीली, लाई हारोग |
गोवा | देक्खनी, फुग्दी, शिग्मो, घोडे, जगोर, गोंफ, टोन्या मेल (Tonyamel )। |
मिजोरम | छेरव नृत्य, खुल्लम, चैलम, च्वांगलाईज्वान, जंगतालम, सरलामकई/ सोलाकिया, तलंगलम। |
सिक्किम | सिंघी छाम (Singhi Chaam) और याक छाम, तमांग सेलो (Tamang Selo) मारूनी नाच। |
लक्षद्वीप | लावा, कोलकाली (Kolkali), परीचाकली (Parichakali)। |
इन्हें अवश्य देखें:
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Indian And International Organisations And Their Headquarters
प्रमुख आदिवासी लोकनृत्य |
|
सरहुल | बिहार का नृत्य |
तपड़ी | बैगा महिलाओ का नृत्य |
दलखई | उड़ीसा की जनजातियों का नृत्य |
डंडरिया | आंध्र प्रदेश की गोंड़ जनजाति का नृत्य |
सैला | बैगा पुरूषों का नृत्य |
बंबू नृत्य | कूकी व नागाओ का नृत्य |
दगला नृत्य | भीलो का पूरूष नृत्य |
बारदा नाटी, बोटिया, कैंचेरी | उत्तराखंड राज्य |
मांडो (Mando) |
गोवा का लोकप्रिय नृत्य |
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